➨ पृथ्वी का वायुमण्डल {Atmosphere of Earth}
v
वायुमण्डल पृथ्वी के
चारों ओर सैकड़ो
किमी की मोटाई
में लपेटने वाले
गैसीय आवरण को
कहते हैं। वायुमंडल के
अतिरिक्त पृथ्वी का
स्थलमंडल ठोस पदार्थों
से बना और
जलमंडल जल से
बने हैं।
v
वायुमण्डल
विभिन्न गैसों का मिश्रण है जो
पृथ्वी को चारो
ओर से घेरे
हुए है।
v
निचले
स्तरों में वायुमण्डल
का संघटन अपेक्षाकृत
एक समान रहता
है।
v
वायुमण्डल
गर्मी को रोककर
रखने में एक
विशाल 'कांच घर'
का काम करता
है, जो लघु तरंगों और
विकिरण को पृथ्वी
के धरातल पर
आने देता है,
परंतु पृथ्वी से
विकसित होने वाली
तरंगों को बाहर
जाने से रोकता
है।
v
इस
प्रकार वायुमण्डल पृथ्वी
पर सम तापमान बनाए रखता
है।
v
वायुमण्डल
में जलवाष्प एवं
गैसों के अतिरिक्त
सूक्ष्म ठोस कणों
की उपस्थिति भी
ज्ञात की गई
है।
v
वायुमंडल
के अनेक दृश्य,
जैसे इंद्रधनुष, बिजली
का चमकना और
कड़कना, उत्तर ध्रुवीय
ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय
ज्योति, प्रभामंडल, किरीट,
मरीचिका इत्यादि प्रकाश
या विद्युत के
कारण उत्पन्न होते
हैं।
v
वायुमंडल
का घनत्व एक
सा नहीं रहता।
समुद्रतल पर वायु
का दबाव इतना
होता है कि
वह पारे के
स्तंभ को 29.92 इंच या
76 सेंटीमीटर उठाता है।
➨वायुमंडल संगठन
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शुद्ध
और शुष्क वायु
में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन,
21 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत कार्बन
डाई ऑक्साइड 0.03 प्रतिशत तथा
हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन,
निऑन, जेनान, आदि
अल्प मात्रा में
उपस्थित रहती हैं।
v
नम
वायुमण्डल में जल
वाष्प की मात्रा
5 प्रतिशत तक होती
है। 
v
वायुमण्डीय
जल वाष्प की
प्राप्ति सागरों, जलाशयों,
वनस्पतियों तथा मृदाओं
के जल से
होती है। 
v
जल
वाष्प की मात्रा
भूमध्य रेखा से
ध्रुवों की ओर
घटती जाती है।
जल वाष्प के
कारण ही बादल,
कोहरा, पाला, वर्षा,
ओस, हिम, ओला,
हिमपात होता है।
v
वायुमण्डल
में ओजोन परत
की पृथ्वी और
उस पर रहने
वाले जीवों के
लिए बड़ी ही
महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
v
यह
परत सूर्य से
आने वाली उच्च
आवृत्ति की पराबैंगनी
प्रकाश की 93-99% मात्रा अवशोषित
कर लेती है,
जो पृथ्वी पर
जीवन के लिये
हानिकारक है। 
v
ओजोन
की परत की
खोज 1913 में फ़्राँस
के भौतिकविद फैबरी
चार्ल्स और हेनरी
बुसोन ने की
थी।
| 
   
➨ वायुमंडल का संघटन 
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घटक 
 | 
  
   
आयतन के अनुसार प्रतिशत 
 | 
 
| 
   
नाइट्रोजन 
 | 
  
   
78.08 
 | 
 
| 
   
ऑक्सीजन 
 | 
  
   
20.9 
 | 
 
| 
   
आर्गन 
 | 
  
   
0.93 
 | 
 
| 
   
कार्बन डाईऑक्साइड 
 | 
  
   
0.03 
 | 
 
| 
   
निऑन 
 | 
  
   
0.0018 
 | 
 
| 
   
हीलियम 
 | 
  
   
0.0005 
 | 
 
| 
   
ओज़ोन 
 | 
  
   
0.00006 
 | 
 
| 
   
हाइड्रोजन 
 | 
  
   
0.00005 
 | 
 
| 
   
मीथेन 
 | 
  
   
अल्प
  मात्रा 
 | 
 
| 
   
क्रिप्टन  
 | 
  
   
अल्प
  मात्रा 
 | 
 
| 
   
ज़ेनॉन 
 | 
  
   
अल्प
  मात्रा 
 | 
 
➨ वायुमण्डल की विभिन्न परतें
{Layers Of The Atmosphere} 
वायुमण्डल का घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है। वायुमण्डल को 5 विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है।
➨
क्षोभमण्डल {Troposphere} :: 0 to 12 km (0 to
7 miles)
v
यह
मण्डल जैव मण्डलीय
पारिस्थितिकी तंत्र के
लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण
है क्योंकि मौसम
संबंधी सारी घटनाएं
इसी में घटित
होती हैं। 
v
प्रति
165 मीटर की ऊंचाई
पर वायु का
तापमान 1 डिग्री सेल्सियस
की औसत दर
से घटता है।
इसे सामान्य ताप
पतन दर कहते
है। 
v
इस
मण्डल की सीमा
विषुवत वृत्त के
ऊपर 18 किमी की
ऊंचाई तक तथा
ध्रवों के ऊपर
लगभग 8 किमी तक
है।
➨
समतापमण्डल
{Stratosphere}
:: 12 to 50 km (7 to 31 miles)
v
इसकी
मोटाई 50 किमी से
55 किमी तक है।
v
इस
मण्डल में तापमान
स्थिर रहता है
तथा इसके बाद
ऊंचाई के साथ
बढ़ता जाता है।
v
समताप
मण्डल बादल तथा
मौसम संबंधी घटनाओं
से मुक्त रहता
है।
v
इस
मण्डल के निचले
भाग में जेट
वायुयान के उड़ान
भरने के लिए
आदर्श दशाएं हैं।
v
इसकी
ऊपरी सीमा को
'स्ट्रैटोपाज' कहते हैं।
v
इस
मण्डल के निचले
भाग में ओज़ोन
गैस बहुतायात में
पायी जाती है।
इस ओज़ोन बहुल
मण्डल को ओज़ोन
मण्डल कहते हैं।
v
ओज़ोन
गैस सौर्यिक विकिरण
की हानिकारक पराबैंगनी
किरणों को सोख
लेती है और
उन्हें भूतल तक
नहीं पहुंचने देती
है तथा पृथ्वी
को अधिक गर्म
होने से बचाती
हैं।
v
यहाँ
से ऊपर जाने
पर तापमान में
बढोतरी होती है।
➨
मध्यमण्डल {Mesosphere} :: 50 to 80 km (31
to 50 miles)
v
इसका
विस्तार 50-55 किमी से
80 किमी तक है।
v
इस
मण्डल में तापमान
ऊंचाई के साथ
घटता जाता है
तथा मध्यमण्डल की
ऊपरी सीमा मेसोपाज
पर तापमान 80 डिग्री सेल्सियस
बताया जाता है।
v
अंतरिक्ष
से आने वाले
उल्का पिंड इसी
परत में जल
जाते है।
➨
तापमण्डल
{Thermosphere}
:: 80 to 700 km (50 to 440 miles)
v
इस
मण्डल में ऊंचाई
के साथ ताप
में तेजी से
वृद्धि होती है।
v
तापमण्डल
को पुनः दो
उपमण्डलों 'आयन मण्डल' तथा 'आयतन मण्डल' में
विभाजित किया गया
है। 
v
आयन
मण्डल, तापमण्डल का
निचला भाग है
जिसमें विद्युत आवेशित
कण होते हैं
जिन्हें आयन कहते
हैं। 
v
ये
कण रेडियो तरंगों
को भूपृष्ठ पर
परावर्तित करते हैं
और बेतार संचार
को संभव बनाते
हैं। 
v
तापमण्डल
के ऊपरी भाग
आयतन मण्डल की
कोई सुस्पष्ट ऊपरी
सीमा नहीं है।
इसके बाद अन्तरिक्ष
का विस्तार है।
➨ आयन मंडल
v
यह
परत 80 से 500 किलोमीटर की
ऊंचाई तक विस्तृत
है । 
v
आयन
मंडल की निचली
सिमा में ताप
प्रायः कम होता
है जो ऊंचाई
के साथ बढ़ते
जाता है जो
250km में
700c हो जाता है
।
v
इस
मंडल में सुऱय
के अत्यधिक ताप
के कारण गैसें
अपने आयनों में
टुट जाते हैं।
v
आयन
मण्डल, तापमण्डल का
निचला भाग है
जिसमें विद्युत आवेशित
कण होते हैं
जिन्हें आयन कहते
हैं। 
v
ये
कण रेडियो तरंगों
को भूपृष्ठ पर
परावर्तित करते हैं
और बेतार संचार
को संभव बनाते
हैं।
➨
बाह्यमण्डल
{Exosphere}
:: 700 to 10,000 km (440 to 6,200 miles)
v
धरातल
से 500से1000km के मध्य
बहिरमंडल पाया जाता
है,कुछ विद्वान्
इसको 1600km तक मानते
है । 
v
इस
परत का विषेस
अध्ययन लैमेन स्पिट्जर
ने किया था।
v
इसमें
हीलियम तथा हाइड्रोजन
गैसों की अधिकता
है।
v
इसे
वायुमण्डल का सीमांत
क्षेत्र कहा जाता
है। इस मण्डल
की वायु अत्यंत
विरल होती है।


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