Sunday, 14 August 2016

➨प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ | Hindi Proverbs


1. ऊधों का लेना माधो का देना – लटपट से अलग रहना
2.
आधा तीतर आधा बटेर बेमेल स्थिति
3.
आग लगाकर जमालो दूर खड़ी – झगड़ा लगाकर अलग हो जाना
4.
सारी रामायण सुन गये, सीता किसकी जाये (जोरू) – सारी बात सुन जाने पर साधारण सी बात का भी ज्ञान होना
5.
मन चंगा तो कठौती में गंगा – हृदय पवित्र तो सब कुछ ठीक
6.
अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को नष्ट करना और तुच्छ को सँजोना
7.
कहाँ राजा भोज कहाँ भोजवा (गंगू) तेली – छोटे का बड़े के साथ मिलान करना
8.
इतनी-सी जान, गज भर ही जबान – छोटा होना पर बढ़-बढ़कर बोलना
9.
हंसा थे सो उड़ गये, कागा भये दीवान – नीच का सम्मान
10.
भागते भूत की लँगोटी ही सही – जाते हुए माल में से जो मिल जाय वही बहुत है
11.
अपना ढेंढर देखे और दूसरे की फूली निहारे – अपना दोष देखकर दूसरों का दोष देखना
12.
गुरु गुड़ चेला चीनी – गुरु से शिष्य का ज्यादा काबिल हो जाना
13.
हाथी चले बाजार, कुत्ता भूँके हजार – उचित कार्य करने में दूसरों की निन्दा की परवाह नहीं करनी चाहिए
14.
आँख का अंधा नाम नयनसुख – गुण के विरुद्ध नाम
15.
देशी मुर्गी, विलायती बोल – बेमेल काम करना
16.
ईंट का जवाब पत्थर – दुष्ट के साथ दुष्टता करना
17.
बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख गुण की कद्र करना नहीं जानता
18.
मँगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते – मुफ्त मिली चीज पर तर्क व्यर्थ
19.
आप भला तो जग भला – स्वयं अच्छे तो संसार अच्छा
20.
चमड़ी जाय, पर दमड़ी जाय – महा कंजूस
21.
हाथ कांगन को आरसी क्या? – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या
22.
एक तो करेला आप तीता दूजे नीम चढ़ा – बुरे का और बुरे से संग होना
23.
काला अक्षर भैंस बराबर – निरा अनपढ़
24.
दमड़ी की हाँड़ी गयी, कुत्ते की जात पहचानी गयी – मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान
25.
हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और – बोलना कुछ, करना कुछ
26.
ओस चाटने से प्यास नहीं बूझती – अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता
27.
ऊँची दूकान फीका पकवान – बाहर ढकोसला भीतर कुछ नहीं
28.
रस्सी जल गयी पर ऐंठन गयी – बुरी हालत में पड़कर भी अभिमान त्यागना
29.
का बर्षा जब कृषि सुखाने – मौका बीत जाने पर कार्य करना व्यर्थ है
30.
तेली का तेल जले और मशालची का सिर दुखे (धाती फाटे) – खर्च किसी का हो और बुरा किसी और को मालू हो
31.
बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल – श्रेष्ठ वंश में बुरे का पैदा होना
32.
लूट में चरखा नफा – मुफ्त में जो हाथ लगे, वही अच्छा
33.
एक म्यान में दो तलवार – एक स्थान पर दो उग्र विचार वाले
34.
ठठेरे-ठठेरे बदलौअल – चालाक को चालक से काम पड़ना
35.
देने के नौ बहाने –  देने के बहुत-से बहाने
36.
मेढ़क को भी जुकाम – ओछे का इतराना
37.
ऊँट किस करवट बैठता है – किसकी जीत होती है
38.
काठ की हाँड़ी दूसरी बार नहीं चढ़ती – कपट का फल अच्छा नहीं होता
39.
मियाँ की दौड़ मस्जिद तक – किसी के कार्यक्षेत्र या विचार शक्ति का सीमित होना
40.
नाच जाने आँगन टेढ़ा – खुद तो ज्ञान नहीं रखना और सामग्री या दूसरों को दोष देना

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